जोत से जोत जगाते चलो...प्रेमकी गंगा...बहाते चलो...रिश्ता दिलसे दिलके ऐतबार का...ज़िंदा हैं हमीसे नाम प्यार का...के मर के भी किसीको याद आयेंगे....किसी की आसूवोंमे मुस्कुराएंगे...कहेगा फुल हर कली से बार बार...जीना इसी का नाम हैं....
मुकेश...फिल्म रजनी गंधा...
कई बार युहीं देखा हैं...
ये जो मन की सीमा रेखा हैं...
मन तोड़ ने लगता हैं...
अनजान प्यास के पीछे...
अनजान आस के पीछे...
मन दौड़ाने लगता हैं... कई बार युहीं देखा हैं...
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